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चंद्र ग्रहण दोष

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यदि आप भी अपने जीवन की बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, तो उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर की यात्रा अवश्य करें और मंगल ग्रह के आशीर्वाद से अपना जीवन सफल बनाएं।

मंगल पूजन क्या है और उज्जैन में ही क्यों होता है?

पुराणों के अनुसार, उज्जैन नगर को मंगल ग्रह की जननी माना जाता है। वे लोग जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह का प्रभाव अधिक होता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति और सुधार के लिए यहाँ पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

भारत के प्राचीन नगरों में उज्जैन का एक विशेष स्थान है। यह शहर धार्मिक, ज्योतिषीय और ऐतिहासिक दृष्टि से अद्वितीय है। उज्जैन को प्राचीन काल से ही “अवन्तिका” और “महाकाल की नगरी” के नाम से जाना जाता है। विशेष रूप से मंगल ग्रह से जुड़ी पूजा और अनुष्ठान के लिए उज्जैन को सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषीय और भौगोलिक कारण हैं। आइए, इन पर विस्तार से चर्चा करें।

उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर को मंगल ग्रह का जन्म स्थान माना जाता है। यह स्थान “स्कंद पुराण” और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी वर्णित है। मान्यता है कि यहां किए गए मंगल दोष निवारण अनुष्ठान और पूजा का सीधा प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ता है। मंगलनाथ मंदिर की शक्ति और प्रभाव के कारण, यहां पर विशेष रूप से मंगल ग्रह से संबंधित पूजा-अर्चना होती है।

उज्जैन को पृथ्वी के शून्य रेखांश (प्राइम मेरिडियन) पर स्थित पहला शहर माना जाता है। प्राचीन भारतीय खगोलविदों और ज्योतिषियों ने इसे समय और ग्रहों की स्थिति मापने के लिए आदर्श स्थान चुना था। चूंकि मंगल ग्रह ज्योतिषीय रूप से समय, ऊर्जा और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए उज्जैन में इसका पूजन करना अधिक प्रभावी और शुभ माना जाता है।

मंगल दोष, जो वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य, और करियर में बाधाओं का कारण बनता है, उसका समाधान उज्जैन में विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। मंगलनाथ मंदिर में मंगल ग्रह के विशेष मंत्रों, यज्ञों और अनुष्ठानों द्वारा मंगल दोष का निवारण किया जाता है। यहां की विशेष पूजा विधि अन्य स्थानों की तुलना में अधिक प्रभावी मानी जाती है।

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भी मंगल ग्रह से गहरा संबंध है। शिव और मंगल की पूजा का एक साथ किया जाना जातक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करता है। मान्यता है कि महाकालेश्वर की उपस्थिति के कारण मंगल की पूजा यहां अधिक फलदायी होती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर की स्थापना की थी। यह स्थान भगवान शिव और उनके पुत्र मंगल के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यहां पूजा करने से मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति समाप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

उज्जैन का वातावरण धार्मिक ऊर्जा से भरपूर है। यहां के मंदिर, पवित्र क्षिप्रा नदी और अनुष्ठानों की परंपरा इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बनाते हैं। ऐसी ऊर्जा मंगल ग्रह से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।

निष्कर्ष

उज्जैन में मंगल पूजन केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मंगलनाथ मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, और उज्जैन की भौगोलिक स्थिति इसे मंगल ग्रह से संबंधित पूजा के लिए अद्वितीय बनाते हैं। यहां की पवित्रता, ऊर्जा और परंपरा के कारण ही मंगल पूजन के लिए उज्जैन को सर्वोत्तम स्थान माना जाता है।

यदि आप भी अपने जीवन की बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, तो उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर की यात्रा अवश्य करें और मंगल ग्रह के आशीर्वाद से अपना जीवन सफल बनाएं।

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कुंडली मिलान: जीवनसाथी चुनने का पहला कदम – हमसे जुड़ें आपके सुखद भविष्य के लिए

विवाह सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं है, यह दो परिवारों, विचारधाराओं और संस्कृतियों का भी मिलन होता है। भारतीय संस्कृति में कुंडली मिलान को इस मिलन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना गया है। यह सिर्फ ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण नहीं है, बल्कि यह आपके भविष्य को सुरक्षित और सुखद बनाने का माध्यम भी है।

कुंडली मिलान क्यों है जरूरी?

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1. व्यक्तिगत और सटीक विश्लेषण – प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली का गहराई से अध्ययन।
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3. ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधा – आप कहीं भी हों, हमसे आसानी से जुड़ सकते हैं।
4. दोषों का निवारण – अगर कुंडली में कोई दोष है, तो उसके समाधान के लिए उचित उपाय।

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विवाह का निर्णय आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है। इसे सही और सुरक्षित बनाने के लिए कुंडली मिलान करना बेहद जरूरी है। हमारी टीम आपकी हर शंका का समाधान करेगी और आपके विवाह के लिए एक सुखद मार्गदर्शन प्रदान करेगी।

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गुण मिलान का सही जीवनसाथी चुनने के लिए महत्व

गुण मिलान: सही जीवनसाथी चुनने के लिए हमारा विशेषज्ञ समाधान

जीवन में सही जीवनसाथी का चयन करना हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। विवाह केवल दो लोगों का मेल नहीं, बल्कि यह दो परिवारों और संस्कृतियों का संगम भी है। इसे सफल बनाने के लिए दोनों व्यक्तियों के बीच मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक तालमेल होना अनिवार्य है। यही कारण है कि भारतीय परंपरा में विवाह से पहले कुंडली मिलान को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

गुण मिलान का सही जीवनसाथी चुनने के लिए महत्व :

कुंडली मिलान, जिसे गुण मिलान भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष का एक विशेष भाग है। यह प्रक्रिया जीवनसाथी की अनुकूलता का विश्लेषण करती है और विवाह के बाद आने वाली संभावित समस्याओं की पहचान करने में मदद करती है।

गुण मिलान में प्रमुख आठ कारक (अष्टकूट) का विश्लेषण किया जाता है:

1. वर्ण – मानसिक अनुकूलता।
2. वास्य – भावनात्मक जुड़ाव।
3. तारा – भाग्य का मेल।
4. योनि – शारीरिक और जैविक अनुकूलता।
5. ग्रह मैत्री – आपसी सामंजस्य।
6. गण – स्वभाव का मेल।
7. भकूट – पारिवारिक और वैवाहिक जीवन।
8. नाड़ी – स्वास्थ्य और वंश।

कुल मिलाकर 36 गुण होते हैं, जिनमें से कम से कम 18 गुणों का मिलना शुभ माना जाता है।

गुण मिलान के लिए हमारे विशेषज्ञ कैसे मदद करते हैं?

हमारी अनुभवी ज्योतिषियों की टीम हर जोड़े की कुंडलियों का गहराई से अध्ययन करती है। हमारी प्रक्रिया केवल गुण मिलान तक सीमित नहीं है। हम विवाह के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे दाम्पत्य जीवन की स्थिरता, आर्थिक समृद्धि, और स्वास्थ्य से जुड़े योगों का भी विश्लेषण करते हैं।

क्यों चुनें हमें?

1. व्यक्तिगत ध्यान: हर क्लाइंट की कुंडली का गहन अध्ययन और व्यक्तिगत रिपोर्ट।
2. विज्ञान और परंपरा का मेल: आधुनिक तकनीकों के साथ प्राचीन वैदिक ज्योतिष का संतुलन।
3. समाधान केंद्रित दृष्टिकोण: संभावित समस्याओं के उपाय भी प्रदान करते हैं।
4. गोपनीयता की गारंटी: आपकी जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखी जाती है।

गुण मिलान में संदेह हो तो हमसे संपर्क करें

अगर आप अपने विवाह को लेकर किसी भी तरह की अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं, तो हमारे विशेषज्ञ आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार हैं। हमारी सेवाएं न केवल आपकी समस्याओं का समाधान करती हैं, बल्कि आपके भविष्य को भी सुरक्षित और सुखमय बनाती हैं।

अपना सही जीवनसाथी चुनने का पहला कदम उठाइए।
अभी हमसे संपर्क करें और हमारे गुण मिलान विशेषज्ञों से परामर्श लें। आपकी खुशहाल और स्थिर वैवाहिक जीवन की शुरुआत यहीं से होती है।

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आपके सुखद भविष्य की कुंजी हमारी विशेषज्ञता में है।

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सूर्य ग्रह का कुंडली में प्रभाव

जानें सूर्य ग्रह का कुंडली में प्रभाव

सूर्य ग्रह कुंडली में आत्मा, पिता, मान-सम्मान, स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता का कारक ग्रह माना जाता है। सूर्य के 12 भावों में अलग-अलग स्थितियों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है।

आइए जानें सूर्य का 12 भावों में फल:

  1. प्रथम भाव (लग्न) फल
    • सिर की समस्या या तनाव
    • आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी और नेतृत्व क्षमता से भरपूर।
    • अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत व्यक्तित्व के धनी।
    • अहंकार की अधिकता हो सकती है।
  2. द्वितीय भाव फल
    • नेत्र कमजोर
    • वाणी में प्रभावशाली और मधुरता।
    • पारिवारिक संबंधों में कभी-कभी कड़वाहट।
    • आर्थिक स्थिति में सुधार, लेकिन खर्चों पर ध्यान देना आवश्यक।
  3. तृतीय भाव फल
    • कान की समस्या
    • साहसी, परिश्रमी और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त करने वाले।
    • भाई-बहनों के साथ संबंध अच्छे, लेकिन कभी-कभी प्रतिस्पर्धा का भाव।
    • कला और लेखन में रुचि।
  4. चतुर्थ भाव फल
    • हृदय समस्या
    • माता से लाभ, लेकिन कभी-कभी विचारों में असहमति।
    • जमीन-जायदाद और वाहन सुख।
    • मानसिक शांति में कमी।
  5. पंचम भाव फल
    • पेट समस्या
    • शिक्षा, प्रेम और संतान क्षेत्र में सफलता।
    • सृजनात्मकता और नेतृत्व क्षमता का विकास।
    • अति आत्मविश्वास हानिकारक हो सकता है।
  6. षष्ठ भाव फल
    • कर्ज़
    • रोग और शत्रुओं पर विजय।
    • कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों के बाद सफलता।
    • स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  7. सप्तम भाव फल
    • गुप्त रोग
    • जीवनसाथी के साथ सम्मान और सहयोग।
    • विवाह और साझेदारी में सफलता।
    • कभी-कभी अहंकार के कारण वैवाहिक जीवन में तनाव।
  8. अष्टम भाव फल
    • दुर्घटना
    • गूढ़ ज्ञान और रहस्यमय विषयों में रुचि।
    • अचानक लाभ या हानि।
    • जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटनाएं।
  9. नवम भाव फल
    • भाग्य फल
    • धार्मिक, अध्यात्मिक और भाग्यशाली।
    • उच्च शिक्षा और धार्मिक यात्राओं का योग।
    • पिता से अच्छे संबंध और मार्गदर्शन।
  10. दशम भाव फल
    • कार्यक्षेत्र में उच्च पद और सम्मान।
    • प्रशासन, राजनीति और नेतृत्व के क्षेत्र में सफलता।
    • समाज में प्रतिष्ठा और ख्याति।
  11. एकादश भाव फल
    • आर्थिक लाभ और मित्रों से सहयोग।
    • बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता।
    • समाज में मान-सम्मान।
  12. द्वादश भाव फल
    • आध्यात्मिक और गुप्त कार्यों में रुचि।
    • विदेश यात्राओं का योग।
    • खर्चों में वृद्धि और स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक।

सूर्य की दशा, दृष्टि और राशि अनुसार इसका प्रभाव बदल सकता है। कुंडली के अन्य ग्रहों और योगों का भी ध्यान रखना चाहिए।

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ज्योतिष के माध्यम से अपने जीवन की दिशा को समझें ujjain pandit ji

ज्योतिष के माध्यम से अपने जीवन की दिशा को समझें

क्या आप अपने जीवन के सवालों का जवाब ढूंढ रहे हैं? क्या आपको अपने करियर, रिश्तों या भविष्य को लेकर दुविधा है? ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से आप अपने जीवन से जुड़े हर सवाल का समाधान पा सकते हैं। एक अनुभवी ज्योतिषी के रूप में, हम आपकी समस्याओं का समाधान और आपके जीवन की दिशा को स्पष्ट करने के लिए यहां है।

हमारी ज्योतिष सेवाएं क्यों चुनें?


• सटीक भविष्यवाणियां: आपके जन्म कुंडली का गहराई से विश्लेषण करके हम सटीक और अर्थपूर्ण जानकारी प्रदान करते है ।
• व्यक्तिगत मार्गदर्शन: हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, और हम उसी के अनुसार व्यक्तिगत सलाह देते है ।
• समग्र दृष्टिकोण: परंपरागत ज्योतिषीय तकनीकों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का उपयोग करते है ।

हम क्या सेवाएं प्रदान करते है?

जन्म कुंडली विश्लेषण: अपने स्वभाव, ताकत, कमजोरियों और जीवन के उद्देश्य को जानें।

  • रिश्तों की अनुकूलता: अपने संबंधों को बेहतर बनाने के उपाय पाएं।
  • करियर और वित्तीय मार्गदर्शन: अपने करियर को सही दिशा में ले जाने के लिए ज्योतिषीय सलाह प्राप्त करें।
  • गोचर भविष्यवाणी: आने वाले ग्रहों के प्रभाव को समझें और उसके अनुसार अपने जीवन में बदलाव करें।

क्लाइंट की संतुष्टि हमारी प्राथमिकता

हमारी ज्योतिष सेवाओं में आपका संतोष सर्वोपरि है। हम एक ऐसा वातावरण प्रदान करता हूं जहां आप अपने सवाल खुलकर पूछ सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए समाधान पा सकते हैं।

क्या आप अपने जीवन के रहस्यों को जानने के लिए तैयार हैं? आज ही हमसे संपर्क करें और अपनी व्यक्तिगत ज्योतिषीय परामर्श बुक करें।

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शनि चंद्र (विषदोष)

क्या होता है शनि चंद्र विष दोष ?

शनि और चंद्र ग्रह का एक साथ कुंडली में बैठना (जिसे “विष दोष योग” या “शनि-चंद्र का संयोजन” भी कहा जाता है) एक महत्वपूर्ण स्थिति है और इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न तरीके से हो सकता है। यह संयोजन व्यक्ति की मानसिक स्थिति, भावना, और जीवन के कठिनाइयों के प्रति दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

शनि चंद्र (विषदोष) कुछ मुख्य प्रभाव :

1. मानसिक तनाव और चिंता:
चंद्रमा मन, भावना और मानसिक स्थिति का कारक ग्रह है, जबकि शनि कर्म, प्रतिबद्धता, और कठोरता का प्रतीक है। जब ये दोनों एक साथ होते हैं, तो व्यक्ति में मानसिक तनाव, अवसाद, या चिंता की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यह संयोजन व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करने के लिए मजबूर कर सकता है, जिससे वे मानसिक रूप से चिड़चिड़े या असुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
2. अनुशासन और संयम:
शनि का प्रभाव व्यक्ति को कड़ी मेहनत, अनुशासन, और जिम्मेदारी की ओर प्रेरित करता है। चंद्रमा के साथ संयोजन से व्यक्ति को मानसिक रूप से अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है, और इस संयोजन से व्यक्ति में आत्म-नियंत्रण और संयम की भावना भी विकसित हो सकती है।
3. आवश्यकता से अधिक जिम्मेदारी:
यह योग व्यक्ति को जीवन में जिम्मेदारियों का सामना करने की प्रवृत्ति देता है। ऐसे लोग खुद को मानसिक दबाव में महसूस कर सकते हैं क्योंकि उन्हें हमेशा अपनी भावनाओं और कार्यों पर कड़ी निगरानी रखनी पड़ती है।
4. भावनात्मक अस्थिरता:
शनि के कठोर और चंद्रमा के परिवर्तनशील स्वभाव के कारण व्यक्ति की भावनाओं में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। कभी-कभी यह संयोजन व्यक्ति को अवसादित और उदास महसूस करवा सकता है, जबकि अन्य समय पर वे खुद को मानसिक रूप से मजबूत और समर्थ महसूस कर सकते हैं।
5. जीवन में विलंब और कठिनाइयाँ:
शनि का प्रभाव समय की धीमी गति और मेहनत से जुड़ा होता है। चंद्रमा के साथ मिलकर, यह व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता महसूस करा सकता है। इसके बावजूद, एक बार यदि व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, तो वह संतुष्ट और स्थिर महसूस कर सकता है।

शनि चंद्र (विषदोष) उपाय:

• नियमित रूप से मानसिक शांति के लिए ध्यान या योग करना।
• शनि और चंद्रमा से संबंधित रत्न जैसे नीला सफायर या मोती पहनना (कुंडली के अनुसार)।
• शनि और चंद्रमा के दोषों को सुधारने के लिए पूजन, व्रत, उपवास, और दान करना।

कुल मिलाकर, शनि और चंद्रमा का संयोजन व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ ला सकता है, लेकिन यदि सही तरीके से समझा और समाधान किया जाए, तो यह व्यक्ति को मानसिक मजबूती और स्थिरता भी प्रदान कर सकता है।

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चंद्र ग्रहण दोष

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kaal sarp dosh puja ujjain

क्या है कालसर्प दोष ? कालसर्प दोष के प्रकार

कालसर्प् दोष क्या होता है ?

सामान्यतः आपकी जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु केतु के बीच में आ जाये तो कालसर्प दोष बनता है या एसा कह सकते है कि राहु केतु आमने सामने हो और सभी ग्रह कुंडली के एक भाग में आ जाये तब जाकर इस दोष का निर्माण होता है

कालसर्प दोष सामान्यतः १२ प्रकार के होते है अलग अलग भाव से अलग अलग प्रकार का कालसर्प दोष बनता है आइये जानते है किस भाव से कौन सा कालसर्प दोष बनता है —

आइये जानते है कि कैसे बनते है कुंडली में १२ प्रकार के कालसर्प दोष ?

1 अनंत कालसर्प दोष—

सामान्यतः जन्मकुंडली में कालसर्प दोष राहु केतु के माध्यम से बनता है जब राहु केतु के बीच सारे ग्रह आ जाते है तब कालसर्प दोष बनता है पर जब राहु कुंडली की लग्न अर्थात् प्रथम भाव में हो और केतु सप्तम में और सभी ग्रह दोनों के बीच अर्थात् एक तरफ़ हो तब अनंत कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।

2 कुलिक कालसर्प दोष—

जिस प्रकार पहले भाव से अनंत कालसर्प दोष का निर्माण होता है ठीक उसी प्रकार से दूसरे भाव में राहु और अष्टम में केतु हो और समस्त ग्रह इनके बीच आ जाये तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है ।

3 वासुकी कालसर्प दोष—

आपको जन्मकुंडली में जब तीसरे भाव में राहु और नवम हो और इनके बीच में सभी ग्रह आ जाये तो वासुकि कालसर्प योग/दोष का निर्माण होता है ।

4 शंखपाल् कालसर्प दोष—

शंखपाल कालसर्प आपकी जन्मपत्रिका में जब बनता है जब राहु आपकी पत्रिका में चतुर्थ भाव में हो और केतु दशम भाव में और सभी ग्रह इनके बीच में हो तब यह दोष बनता है ।

5 पद्म कालसर्प दोष—

जब आपकी जन्मकुंडली में राहु पंचम भाव में हो जिसे हम शिक्षा या संतान के नाम से भी जानते है और केतु आय अर्थात् एकादश ११वे भाव में और सभी ग्रह उनके बीच में हो एसी परिस्थिति में पद्म कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।

6 महापद्म कालसर्प दोष —

जब राहु ग्रह कुंडली कि छठे भाव में स्थित हो और केतु ग्रह बारवे भाव में स्थित हो और समस्त ग्रह इनके बीच में आ जाये तब महापद्म कालसर्प दोष बनता है यह स्थिति शत्रु के बेहत शुभ बताई गई है ।

7 तक्षक कालसर्प दोष—

अनंत कालसर्प की विपरीत परिस्थिति अर्थात् जब राहु ग्रह सातवें भाव में हो और केतु ग्रह लग्न में विराजमान हो और सभी ग्रह इनके बीच में हो तब एसी स्थिति में तक्षक कालसर्प बनता है ।

8 कर्कॉटक कालसर्प दोष—

जब जातक की जन्मकुंडली में अष्टम भाव में राहु ग्रह और दूसरे भाव में केतु ग्रह हो और बाक़ी सातो ग्रह इनके बीच हो तब कर्कॉटक कालसर्प दोष बनता है ।

9 शंकचूड़ कालसर्प दोष—

जब जन्मकुंडली में राहु ग्रह नवम भाव में और केतु ग्रह तीसरे भाव में हो और समस्त ग्रह इनके बीच में आ जाये तब शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।

10 घातक कालसर्प दोष—

जब आपकी जन्मकुंडली में राहु दशम भाव में और केतु चतुर्थ भाव में और सभी ग्रह इनके बीच में हो तो एसी परिस्थिति में घातक नामक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।

11 विषधर कालसर्प दोष—

जब जन्मकुंडली में राहु एकादश अर्थात् ११वे भाव में हो और केतु पंचम भाव में स्थित हो और सभी ग्रह इनके बीच में आ जाये तो इस दोष का निर्माण होता है ।

12 शेष कालसर्प दोष—

आपकी जन्मकुंडली में राहु ग्रह द्वादश अर्थात् बारवे भाव में हो और केतु ग्रह छठे भाव में स्थित हो और सभी ग्रह इनके बीच अर्थात् मुँह में आ जाये तब जाकर शेष कालसर्प दोष का निर्माण होता है ।

कालसर्प दोष के लक्षण-

कालसर्प दोष व्यक्ति से परिश्रम अपेक्षा से अधिक करवाता है कालसर्प दोष से पीड़ित लोगो को स्वप्न में सर्प दिखते है एक लंबे समय तक सफलता ना मिल पाना साथ ही जब आप किसी कार्य को बड़ी मेहनत से करते है और पूर्ण होने वाला हो तब एकदम से ख़राब हो जाना या शुरू से शुरू करना पड़ता है ( end time ) पर कार्य रुक जाना और कुछ परिस्थिति में आपको ग़लत खान पान गलत संगति की तरफ़ ले कर जाता है देखा गया है कि इसके प्रभाव से 80 से 90 प्रतिशत लोग काले और नीले कपड़े पहन ना अधिक मात्रा में पसंद करते है यह दोष आपको नकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है मानसिक स्थिति को कमजोर करता है कही ना कही आपके वैवाहिक जीवन पर भी प्रभाव डालता है शिक्षा में रुकावट और सबसे ज़्यादा व्यापार में परेशानियाँ खड़ी करता है यहाँ तक कि देखा गया है कि अष्टम भाव का कालसर्प अर्थात् कर्कॉटक कालसर्प दोष अपनी खराब दशा आने पर मृत्यु जैसी परिस्थिति का निर्माण करता है

कालसर्प दोष के उपाय-

  1. काले और नीले वस्त्र पहन ने और दान करने से बचे ।
  2. जितना हो सके मांस मदिरा नशे से दूर रहे ।
  3. शिव आराधना करे ।
  4. किसी अपाहिज व्यक्ति को नशे का सामान दान करे ।
  5. रविवार के दिन टॉयलेट में नील डालकर फ़्लश करे ।
  6. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करे या ब्राह्मणों से करवाये ।
  7. उज्जैन या नासिक जाकर कालसर्प दोष की शांति का पूजन करे।
  8. किसी अच्छे ज्योतिषी के सलाह अवश्य लेवे ।

कहा होता है कालसर्प् दोष का पूजन ?

भारतीय ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार १२ ज्योतिर्लिंग में से महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्रयम्बकेश्वर में कालसर्प दोष की पूजा का विधान बताया जाता है और मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रांगण में नागचंद्रेश्वर मंदिर जो की वर्ष में एक बार सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलता है मान्यता है कि वहाँ दर्शन मात्र से कालसर्प दोष का निवारण होता है और उस दिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करते है और उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा की विधि करते है और यही एक मात्र कारण की वर्षों की परंपरा के अनुसार उज्जैन में भी क्षिप्रा नदी के तट पर कालसर्प दोष की पूजा विधि होती है जो की आज तक हो रही है ।

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कैसे करे कालसर्प दोष का निवारण ?

हमारे द्वारा उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे कालसर्प दोष शांति पूजा विधिवत करवाई जाती है आप पंडित जी से बात करके अपनी जन्मदिनांक और जन्म समय और जन्मस्थान के माध्यम से अपनी कुंडली दिखा कर किस प्रकार का दोष है जान सकते है और मार्गदर्शन प्राप्त कर विधिवत उसका उपाय निवारण और विधि भी जान सकते है

कालसर्प दोष की पूजा में कितना खर्च आता है ?

सामान्यतः कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए 2100 से 5100 तक का खर्च आता है जिसमें पूजा की सामग्री मंदिर स्थान की रसीद ब्राह्मण दक्षिणा सहित सभी खर्च सम्मिलित होता है इसके अलावा यदि आप पूजन के साथ जप करवाते है तो फिर खर्च बड़ जाता है
आपकी सुविधा के अनुसार खर्च बढ़ता और कम भी हो जाता है

कालसर्प दोष की पूजा विधि के लिये स्नान करके सफ़ेद वस्त्रों को धारण करके (कुर्ता पजामा या धोती) पंडित जी के पूजा स्थान पास पहुँच कर पूजन प्रारंभ करते है
कालसर्प दोष पूजा विधि में सर्व प्रथम आपको 5 पूजन करने होते हैं शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजन पूजन यज्ञ आदि को करने से पहले पंचांग कर्म अर्थात् (कर्मकांड पूजा विधि के पाँच अंग )करना अनिवार्य बताया गया है जिसमें सबसे पहले

  1. गणेश पूजन
  2. वरुण पूजन
  3. कुलदेवी पूजन
  4. नांदी श्राद्ध ( पितृ पूजन )
  5. ब्राह्मण वरण

कालसर्प दोष पूजा की विधि ?

होता है इसके बाद ही आप कालसर्प दोष का पूजन करना चाहिए यह पाँच पूजन होने के बाद कालसर्प दोष पूजन में 12 नागों का पूजन होता है और साथ ही एक चाँदी के नाग नागिन के जोड़े का मन्त्रों द्वारा प्रतिष्ठा कर पूजन अभिषेक किया जाता है इसके बाद भगवान शिव के साथ नवग्रह का पूजन करते है और सभी भगवान के निमित में हवन ( यज्ञ ) का कर्म होता है इसके पश्चात भगवान की आरती होती है और फिर चाँदी के जिस नाग नागिन का हम पूजन करते है उन्हें विधिपूर्वक क्षिप्रा नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है विशेष बात जिन वस्त्रों को पहन कर आप पूजन विधि करते है उन वस्त्रों को पूजन के बाद नदी किनारे त्याग कर पुनः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर जिन ब्राह्मणों द्वारा पूजन किया गया उनसे आशीर्वाद लेकर इस पूजा विधि को संपन्न किया जाता है ।

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Mhamrityunjay mantra Shiva

जानें- महामृत्युंजय मंत्र की महिमा

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मरते हुए व्यक्ति को भी जीवन दान मिल सकता है

उज्जैन में, महामृत्युंजय जाप भगवान शिव या भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जो सबसे दयालु देवता हैं। महा का अर्थ है महान, मृत्यु का अर्थ है मृत्यु और जय का अर्थ है विजय, जिसका अर्थ है कि इस जाप को करने से व्यक्ति को मृत्यु पर विजय मिलती है। मृत्युंजय जाप लंबी आयु, स्वास्थ्य, धन, शांति, समृद्धि और संतोष को बहाल करने में मदद करता है।
महामृत्युंजय जाप में महामृत्युंजय मंत्र का दोहराव शामिल है, जो भय, बीमारी और मृत्यु पर काबू पाने के लिए एक शक्तिशाली प्रार्थना है।महामृत्युंजय पूजा एक हिंदू अनुष्ठान है जो अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और असामयिक मृत्यु से सुरक्षा के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। महामृत्युंजय पूजा हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली अनुष्ठान है। ऐसा माना जाता है कि इसमें अकाल मृत्यु को दूर करने, अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने और दीर्घायु प्रदान करने की क्षमता है।पूजा में महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है, जो एक पवित्र मंत्र है जो अपने उपचार गुणों के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर करने, दुर्घटनाओं और दुर्भाग्य से बचाने और समग्र कल्याण लाने की शक्ति है।

महामृत्युंजय मंत्र जप और यज्ञ के लाभ :

भगवान शिव के दिव्य आशीर्वाद के लिए
भय, तनाव, समस्याओं और अहंकार से राहत के लिए।
गहन धार्मिक अनुभूति के लिए.
सभी प्रकार की मृत्यु संबंधी चिंताओं और बुरे ग्रहों के प्रभाव से राहत के लिए।
लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं:

यह बीमारियों को हराता है और स्वास्थ्य को कई गुना बढ़ाता है।
यह मंत्र जप करने वाले परिवार की रक्षा करता है तथा उनके स्वास्थ्य में सुधार करता है।
यह संतुलित और शांत जीवन जीने वाले व्यक्ति की दीर्घायु को बढ़ावा देता है।
यह पूजा अपने आप में सबसे शक्तिशाली है और जीवन में सभी बुराइयों को खत्म करने में मदद करती है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति के जीवन में जटिलताएं और अवरोध समाप्त हो जाते हैं।
व्यावसायिक स्तर पर, यह विकास और उपलब्धि को बनाए रखता है और व्यक्ति की शक्ति को आकांक्षा की ओर निर्देशित करता है।
यह मंत्र शरीर के ऊर्जा बिंदुओं से नकारात्मकता को दूर करता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और वह तनाव से मुक्त हो जाता है।
इसके अलावा, इसमें जन्म के समय कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करने की अतिरिक्त क्षमता भी होती है।

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अर्क विवाह या कुंभ विवाह क्या है?

जिस पुरुष की कुंडली में २ या २ से अधिक विवाह के योग होते है उनके लिये अर्क विवाह का प्रयोग अनिवार्य होता है अर्क विवाह में लड़के के विवाह से कुछ दिन पहले उसका विवाह (सूर्य पुत्री) आकड़े के पैड के साथ किया जाता है

अर्का या कुंभ विवाह

कुंभ या घट विवाह —


जिस स्त्री की जन्मकुंडली में २ या २ से अधिक विवाह का योग हो तो उनके लिए कुंभ या घट विवाह का प्रयोग अनिवार्य होता है इस प्रयोग में कन्या के विवाह के कुछ दिन पहले उसका विवाह विधिवत पूजन के साथ पीपल के पेड़ के साथ या भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है

इस तरह के प्रयोग से जातक की जन्मकुंडली में जो २ या अधिक विवाह के योग होते है उसका निवारण होता है

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